सुशासन बाबू की सरकार और शराब का कारोबार

 सुशासन बाबू की सरकार और शराब का कारोबार

पुलिस का डर है लेकिन पेट के कारण बनाते है शराब

सहरसा - बिहार सरकार ने वर्ष 2016 में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया लेकिन शराब बंदी कानून लागू होने के बाद भी ऐसा कोई दिन नही जहां शराब बरामद नही हो रहा है एवं तैयार हो रहा है। ताजा मामला सहरसा जिले के एक इलाके का है जहां धरल्ले से देशी शराब का निर्माण किया जाता है। कुछ शर्तों के कारण हम आपको जिले के उन स्थानों का नाम एवं व्यक्ति का नाम नही बता सकते एवं दिखा सकते है। सुशासन बाबु अक्सर सभाओं में मंच से कहते नजर आते है कि हमने पूर्ण शराब बंदी कानून लागू किया। अगर शराब बंदी कानून लागू हुआ तो शराब बनाने वाले सरकार के कानून को ठेंगा दिखा रहे है अथवा शराब बनाने वाले कि मजबूरी सरकार नही समझ रही है। 

शराब बनाने वाले युवक ने बताया कि किया करें हमारी मजबूरी है शराब बनाना। सरकार हमें रोजगार दे हम यह करोबार नही करेगें। उन्होंने बताया कि जनवितरण प्रणाली विक्रेता खाद्यान्न नही देता।

सरकार ने हर घर शोचलाय दिया लेकिन हम लोग आज भी उस से वंचित है, जिले के हर घर में नल का जल पहुँच रहा है लेकिन हम लोग आज भी उस पानी से वंचित है तो आखिड़ किया करें भूखे मरने के बजाय कुछ रोजगार कर लेते हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस का डर रहता है लेकिन पापी पेट का सवाल है इसलिए शराब बनाते हैं।

अब सवाल उठता है कि दिन के उजाले में शराब का कारोबार होता है और इस पर रोक लगाने में पुलिस प्रशासन विफल साबित हो रही है तब तो इसका करोबार हो रहा है। हालांकि जिले के नव नियुक्त पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह ने आते ही मीडिया को बताई की शराब बंदी कानून को सख्त रूप से लागू करूंगा।

लिपि सिंह - पुलिस अधीक्षक सहरसा

 जबकि इस मसले पर उत्पाद निरीक्षक ने बताया कि इस माह में 159 जगहों पर छापेमारी की गयी है। 22 प्राथमिकी भी दर्ज किया गया है 11 कि ग्रिफ्तारी भी की गयी है। जहां भी सूचना मिलता है त्वरित कार्रवाई की जाती है।

वैसे इस लोगों पर कार्रवाई के साथ इन बेरोजगार को रोजगार भी उपलब्ध करवाना सरकार के लिए चुनोती है। जबकि पुलिस प्रशाशन के लिए इन करोबार को रोकना भी एक बड़ा चुनोती है।

राजीब झा -  सहरसा

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