रेड लाइट एरिया पहुँची शिक्षा विभाग, नोनिहालों ने कहा बनेगें अफसर
रेड लाइट एरिया पहुँची शिक्षा विभाग, नोनिहालों ने कहा बनेगें अफसर
धंधे वाली की बच्ची अब धंधा नही शिक्षा विभाग के प्रयास से सीखेंगे क,ख,ग
सहरसा - कहते हैं कि दिल में अगर कुछ करने की इच्छा शक्ति हो तो कोई काम मुश्किल नहीं होता। इसे साबित कर दिखाया सदर प्रखंड कहरा के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने। बीइओ संजय कुमार की जितनी काबिले तारीफ की जाय कम ही होगा। किया हुआ मामला ये समझीये , बिहार राज्य मानवाधिकार आयोग ने प्रारंभिक शिक्षा एवं सर्व शिक्षा अभियान सहरसा से जिले के सभी रेड लाइट एरिया में रह रहे बच्चों की पहचान कर 06 से 14 आयु वर्ग के बच्चों को चिन्हित करने के साथ विद्यालय में अनामांकित होने की स्थिति में उसका नामांकन उम्र सापेक्ष कक्षा में करवाने का निर्देश दिया था। इसी कड़ी में प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने अपनी तत्परता से एक टीम का गठन कर शहर से सटे भारतीय नगर स्थित रेड लाइट एरिया में ना सिर्फ सर्वेक्षण करवाया, वल्कि शनिवार को 48 बच्चें का नामांकन भी स्थानीय नव प्राथमिक विद्यालय में करवाने में सफल रहे। जिसमें 20 बालक एवं 28 बालिका शामिल हैं। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि पत्र देखते ही कोई भी शिक्षक या फिर साधन सेवी इस इलाके में जाने को तैयार नहीं हो रहे थे। फिर अपने मौजूदगी में इस कार्य को करने को ठानी। उन्होंने कहा कि मानवता के नाते स्लम बस्तियों के बच्चें भी अगर समाज की मुख्य धारा से जुड़ कर शिक्षा ग्रहण करें तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकता है। फिर उन्होंने प्रखंड साधन सेवी अमित कुमार, हेम शंकर सिंह, बिजय कुमार, शिक्षक सुदर्शन कुमार के साथ इस बस्ती में पहुंच कर नजदीक के विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रभात कुमार एवं शिक्षक सरोज कुमार को साथ लेकर सर्वेक्षण करते हुए 48 बच्चे का नामांकन अपनी उपस्थिति में करवाया। इस मौके पर नामांकित बच्चों को कांपी, कलम का भी वितरण किया। बच्चें काफी खुश नजर आ रहे थे। हो भी क्यों नहीं, सड़क पर खेलने वाले बच्चें विद्यालय में नजर आ रहे थे।
बच्चें का नामांकन विद्यालय में करवाने के लिए उनके माता, पिता, अभिभावक भी साथ आए। 10 वर्षीय बच्ची पीहू प्रवीण ने पूछने पर बताती है कि पढ़ लिख कर अफसर बनना चाहती है। वहीं अहाना, जुनी, इशा, अमन, उम्मी आयत, कोमल प्रवीण आदि बच्चों ने बताया कि वह भी बड़ा आदमी बनना चाहता है। अभिभावक कुशा खातून, राईशा खातून, सोनी, मो जब्बार आदि ने बताया कि हमारे बच्चें पहले घर में ही पढ़ता था, अब स्कूल में पढ़ेगी। इससे खुशी की बात क्या होगी। एक सवाल के जवाब में मो हैदर अली, नौशाद, शाहिना खातून ने बताया कि ऐसी पहल पहले कभी किसी के द्वारा नहीं किया गया था। नहीं तो हमारे बच्चें भी पढ़ लिख कर बड़ा आदमी बन सकता है। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार ने सरकार से मिलने वाले सारी सुविधा के बारे में भी उन रेड लाइट के स्थानीय लोगों को बताया। हालांकि जिस तरह का प्रयास वहां किया जा रहा है अगर वहां अक्सर इस तरह का पहल जारी रहा तो वह दिन दूर नही की वहां के हर बच्चे मुख्यधारा से जुड़ जायेगें।
अमित कुमार - सहरसा
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