अपराध के अलावे उत्पाद एवं जमीन विवाद बढ़ाता है प्राथमिकी की संख्या

 अपराध के अलावे उत्पाद एवं जमीन विवाद बढ़ाता है प्राथमिकी की संख्या

सहरसा - जिले के सभी थाना एवं ओपी क्षेत्रों में अगर सबसे ज्यादा आजकल प्राथमिकी दर्ज होता है तो वह अपराध से नही अपितु उत्पाद एवं जमीनी विवाद के कारण होता है। हालांकि बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने तय किया कि जमीनी विवाद अब पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर तक विभागीय अधिकारियों द्वारा निपटाया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तय किया कि प्रत्येक थाना में शनिवार को जमीन संबंधी समस्याओं को अंचल अधिकारी एवं थाना अध्यक्ष के सहयोग से सुलझाया जाय। यही नही पंद्रह दिनों पर जिला स्तर भी एसडीओ एवं एसडीपीओ के माध्यम से मामले को हल किया जाय। बाबाजूद जमीन विवाद के कारण लगातार घटनाएं घटित होती रहती है और मजबूरन पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करनी पड़ती है। 

शराब बंदी के बाद अवैध शराब भी बढ़ाती है प्राथमिकी की संख्या

बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने पूर्ण शराब बंदी लागू किया। लेकिन शराब बंदी के बाद बिहार में अवैध शराब का और करोबार बढ़ गया। अवैध शराब के कारण भी पुलिस विभाग परेशान हो गयी। जो मामला खास कर उत्पाद विभाग देखती थी उन विभाग का अधिकतर परेशानी थाना क्षेत्र के पुलिस पर पड़ गया। यही नही उत्पाद विभाग जितना शराब नही पकड़ती उससे ज्यादा थाना क्षेत्र के पुलिस को शराब की बरामदगी हो जाती है और उनको मजबूरी में प्राथमिकी दर्ज करना पड़ जाता है। इन्हीं कारणों से थाना अथवा ओपियों में जमीनी विवाद एवं उत्पाद विभाग ने प्राथमिकी की संख्या बढ़ा दिया है।

पुलिस पर अगर नही हो अतिरिक्त केश का भार तो अपराध पर लग सकता है पूर्ण अंकुश

जिस तरह पुलिस अपराध , उत्पाद एवं जमीनी विवाद में प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान करती है और उनको अनुसंधान में विलंब के कारण खुद अपने मासिक वेतन पर ग्रहण लग जाता है। अगर उन्हीं पुलिस को सिर्फ अपराध वाली केश का अनुसंधान करने दे तो दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी और हर माह मासिक वेतन भी प्राप्त हो जायेगा। लेकिन पुलिस को अपराध के साथ साथ उत्पाद एवं जमीनी विवाद का भी प्राथमिकी झेलना पड़ता है। वैसे सरकार ने सिस्टम बनाया है उन कर्तव्य का पालन करना पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य बनता है। बाबाजूद अगर कुछ चीज कुछ अन्य संबंधित विभाग के अधिकारियों को सौंप दिया जाय तो अपराध पर अंकुश काफी हद तक लग सकता है।

राजीब झा -  सहरसा

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