शहर के नौ रेल फाटक पर हर दिन लगता है जाम लेकिन अबतक नही निकला कोई समाधान

 शहर के नौ रेल फाटक पर हर दिन लगता है जाम लेकिन अबतक नही निकला कोई समाधान

एक नगर परिषद , चालिस वार्ड, नौ रेलवे क्रासिंग

सहरसा - जिला मुख्यालय होने के बाद भी सहरसा में 20 वर्षों से स्थानीय जनता के द्वारा किए जा रहे मांगों में प्रमुख ओवरब्रिज का मुद्दा पूर्णता ठंडे बस्ते में है, ना तो इस पर कोई शोर है न कोई शिकायत न ही कोई प्रतिवेदन और ना ही रेलवे बजट में इसके बारे में कोई वृहत् जानकारी ही दी जाती है। ताज्जुब की बात है कि कभी-कभी उठने वाला शोर जमीन मापी और मिट्टी जांच तक ही सीमित रहता है। मालूम हो कि सहरसा शहर में 40 वार्ड हैं, शहर के विभिन्न मार्गो पर सात रेल फाटक है। ज्यादातर समय बंद रहने के कारण लोगों को काफी फजीहत होती है। सहरसा के लोगों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत रेल नहीं खडी की है. शहर के बीचों बीच कई हिस्सों में रेल की पटरिया गुजरती है, जिसके कारण शहर के एक भाग से दूसरे भाग जाने के लिए सामान्य नागरिक को कई रेलवे फाटक पार करने पड़ते हैं। बंगाली बाजार में पिछले 20 वर्षों से लगातार ओवरब्रिज निर्माण की मांग की जाती रही है। यही नही ओवरब्रिज का कई बार शिलान्यास भी सफेदपोश नेताओं द्वारा किया गया है। 

आम लोगों की बर्षो से एक ही मांग, कब मिलेगा इस शहर को जाम से समाधान

शहर के बंगाली बाजार के अलावा मधेपुरा ढाला पॉलिटेक्निक ढाला,सर्वा ढाला बायपास, शिवपुरी ढाला, कचहरी ढाला, झपडा टोला रेल क्रासिंग,  गंगजला रेलवे फाटक, डूमरैल ढाला लोगों के लिए बड़ी मुसीबत पैदा करता है। पॉलिटेक्निक मधेपुरा ढाला, बंगाली बाजार, गंगजला रेलवे गुमटी शहर ही नहीं अपितु बाहरी जिलों से आए राहगीरों और बसों के लिए भी मुसीबत की जड़ बना है। सहरसा से सुपौल सरायगढ़ जाने वाली ट्रेन जब बीच शहर से गुजरेगी तब तक बंगाली बाजार, गंगजला रेलवे गुमटी और कचहरी डाला एवं शिवपुरी रेल फाटक पर एक साथ जाम लग जाया करता है।

आपको याद होगा कि ओवरब्रिज के साथ अंडर पास रेलवे क्रॉसिंग भी बनाए जाने की बात भी हुई, परंतु सहरसा के लिए अब तक ऐसी कोई योजना धरातल पर  पिछले बीस सालों लंबित है साथ ही साथ बिहार में 9 रेलवे क्रासिंग से युक्त दुसरा शहर भी नहीं है। कई शिलान्यासो का मुख्य गवाह रहा सहरसा के लिए यह कभी भी यातायात के लिए सहज नहीं होगा, क्योंकि नौ फाटक शहरवासियों का इंतजार विभिन्न मुहाने पर कर रही होती है। ताज्जुब की बात है कि बाईपास से रेल निकालने की परियोजना भाया गंगजला चौक इतना सब होने के बाद भी समस्याएं जस की तस बनी रहेगी क्योंकि शहरवासियों का कहना है कि ओवरब्रिज और  अंडरपास के बगैर सहरसा के इस जाम से निजात पाना लगभग नामुमकिन ही है।

विष्णु स्वरूप / सहरसा

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