पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना ने सत्ताधारी जनप्रतिनिधि, प्रशासन और सरकार को बताया उदासीन

पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना ने सत्ताधारी जनप्रतिनिधि , प्रशासन और सरकार को बताया उदासीन

सहरसा के लोगों के साथ हो रहा अन्याय, इसके लिए जनप्रतिनिधि, प्रशासन और सरकार जिम्मेदार

सहरसा - पूर्व विधायक किशोर कुमार ने आज सहरसा में बंगाली बाज़ार ओवर ब्रिज का निर्माण शुरू नहीं होने  और नगर निगम का दर्जा रद्द किये जाने को जनप्रतिनिधि, प्रशासन और सरकार की घोर लापरवाही बताया. उन्होंने आज सहरसा अतिथिगृह में प्रेस वार्ता कर कहा कि सहरसा जिला के साथ यहाँ के जनप्रतिनिधि, प्रशासन और सरकार अन्याय कर रही है. उदहारण, सहरसा के बंगाली बाज़ार में बनने वाले ओवर ब्रिज का 3 बार शिलान्यास और आधा दर्जन से ज्यादा बार निविदा के बाद पुनः ईपीसी मोड में निविदा निकलना एवं नगर परिषद सहरसा को नगर निगम का दर्जा देकर वापस लेना जिला के साथ धोखा है. शहर जल जमाव, गंदगी और अतिक्रमण से तबाह है। किशोर कुमार ने कहा - लम्बे संघर्ष के बाद ओवर ब्रिज की स्वीकृति मिली। कई निविदा बाद फिर से इपीसी मोड का निविदा निकाल कर जनता को झुनझुना थमा दिया है.पिछले दिनों पुल का निर्माण शुरू नहीं हुआ, लेकिन इसका श्रेय लेने की होड़ सत्ताधारी दल के नेताओं में लग गयी. शहर बड़े - बड़े होर्डिंग्स से भर गया. अख़बार और सोशल मीडिया में गंध मच गया. जबकि ओवर ब्रिज का संघर्ष और शिलान्यास की कहानी साढ़े 3 दशक यानी 35 सालों से चला आ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि इनके श्रेय में शहर के व्यापारी वर्ग को विलेन बना दिया और ऐसे दिखाया गया, जैसे व्यापारी वर्ग ओवर ब्रिज का विरोधी है. जबकि व्यापारी ब्रिज का समर्थन करते हैं. हाँ, वे अपना कम से कम नुकसान जरुर चाहते हैं. हम भी इस संबंध में मुख्यमंत्री जी से आग्रह कर  चुके हैं. लोग भी चाहते हैं कि कम नुकसान में यह ब्रिज बने, ताकि आम लोगों को जाम से मुक्ति मिल सके। पूर्व विधायक ने बताया कि सहरसा नगर परिषद को आम जन के संघर्ष  बाद राज्य सरकार ने सहरसा नगर निगम के लिए अधिसूचना निकाली गयी. लेकिन फिर से राजनीतिक दबाव में नगर निगम को नगर परिषद बना दिया गया. जबकि सहरसा नगर परिषद के 40 वार्ड की जनसंख्या ही नगर निगम के अहर्ता को पूरा करता है. गलत तरीके से प्रचारित किया गया कि जो 8 पंचायत नगर निगम में जोड़े गये, उसके मुखिया नगर निगम के विरोधी हैं यह गलत है. यह जनप्रतिनिधि, प्रशासन और सरकार ने सहरसा को नरक बनाने की कसम खा ली है. यह उनकी घोर लापरवाही है। उन्होंने कहा कि जब इन लोगों को कोई उपलब्धि नहीं मिलता है और लम्बे संघर्ष के बाद अगर कोई नया काम शुरू होता है तो क्रेडिट लेने की होड़ मच जाती है. बाद में उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण यह काम बाधित हो जाता है. उनके स्वार्थ के चलते काम रुकता है, तो इसके लिए कौन जिम्मेवार हैं.सहरसा सत्ताधारी दल के नेता मंत्री से भरा हैं. ऐसे में उनका कोई बहाना स्वीकार्य नहीं होगा. सत्ताधारी दल के लोग दुसरे लोगों को बदनाम भी करते हैं. इसलिए हम चाहते हैं कि ब्रिज के लिए श्रेय लेने वाले लोग बताएं कि आखिर क्यों अब तक ब्रिज नहीं बना? क्यों नगर निगम का दर्जा सहरसा से छीन लिया गया? अंत में पूर्व विधायक ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि सहरसा जल जमाव, मच्छर, गंदगी, भ्रष्टाचार आदि से त्रस्त है. बरसात आने वाला है. जल जमाव के हालात पैदा होने वाले हैं. शहर ले लोग नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. इसकी जवाबदेही तय करने का समय आ गया है और जनता को भी इसके लिए संघर्ष तेज करने की जरूरत है। इस अवसर पर उनके साथ त्रिभुन सिंह, लुकमान अली, कन्हैया सिंह, प्रो० नवनीत सिंह, प्रो० मनोज साह, पंचम सिंह, प्रतिकेश सिंह उर्फ छोटू, गुंजन सिंह, संजीव सिंह, प्रशांत सिंह, ज़िला नाई संघ के अध्यक्ष विजेंद्र ठाकुर, शिशंकर ठाकुर, दीपक पोद्दार, कुलदीप यादव, सूरज प्रजापति, निखिल जी, नीरज जी।

राजीब झा - सहरसा

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